त्योहारों रीति रिवाजों वाली डायरी# लेखनी धारावाहिक प्रतियोगिता -07-Nov-2022
इस साल की मेरी सामा
वैसे इस बार मैं सामा नहीं खेल पाई इसका बहुत ही अफसोस है ऐसा नहीं था कि मैं ने सामा बनाया नहीं था मैं खेलने के विचार में नहीं थी। मैंने अपनी अत्याधिक व्यस्तता में भी समय निकालकर सामा चकेबा बनाया। उन पर सिंदूर पिठार लगाया ।
भगवान की इच्छा के आगे हम कुछ नहीं कर सकते जो इंसान आया है उसको जाना है यह तो निश्चित ही है। उसी समय ऐसा घटा कि मन बहुत दुखी रहा। मेरी मौसी के बेटे का देहांत देवोत्थान एकादशी वाले दिन हो गया जिस कारण मैं समय पर सामा की विदाई नहीं कर पाई। और पूर्णिमा को चंद्र ग्रहण भी था उसके 2 दिन के बाद ही मैंने समय निकालकर जितना मैं जानती थी भगवान को हाथ जोड़कर मैंने उनकी विदाई कर दी। मेरा यह परिवार भी इस खेल में मेरा साथ दे और हम हम सब मिलकर यह त्योहार मनाएं।
मेरे मन का अटूट विश्वास हमेशा कायम रहे हम भाई बहनों के बीच का प्रेम बना रहे कभी धन-संपत्ति जमीन जायदाद को लेकर वाद विवाद उत्पन्न हो तब भी मैं उनकी लंबी उम्र की कामना करते हुए यह त्यौहार हर साल इसी तरह धूमधाम से मनाती रहूं और अपना बचपना जीती रहूं ।
मिट्टी से सने मेरे हाथ फिर सिंदूर लगाना और रंग बिरंगी छोटी छोटी चिड़िया सच बहुत ही अच्छा लगता है मुझे यह त्यौहार खेलना। मैं चाहूंगी कि आप सभी जो भी लेखनी पर मेरी यह डायरी पढ़ रहें हैं सामा चकेवा की कहानी को जाने समझे।
किसी भी रूप में हर राज्य में अलग-अलग त्यौहार मनाते हैं बहनें भाई की लंबी उम्र के लिए।इन सभी त्योहारों की पहचान बनी रहे।
हमको अपने पौराणिक कथाओं पुराने त्योहारों की मान्यता को नहीं भूलना चाहिए। हम आधुनिकता अपनाने के कारण अपना समय इन बातों में लगाना व्यर्थ समझते है जो कि उचित नहीं है। जो समय फोन पर और इंटरनेट लैपटॉप कंप्यूटर पर बिताते हैं उसे क्यों ना कुछ अच्छा करके अपने त्योहारों को मना कर बिताएं सब के साथ अपने परिवार के साथ मिलकर रहे तो जो खुशी मिलेगी वह मैसेज फॉरवर्ड करने में नहीं होती।
इसी के साथ सामा पर लिखी इस कहानी को विराम देती हूं और अपने मिथिलांचल के कुछ और त्योहारों की जानकारी इस डायरी में लिखूंगी।
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कविता झा'काव्या'
# लेखनी
#लेखनी त्योहारों रीति-रिवाजों वाली प्रतियोगिता
Radhika
09-Mar-2023 01:05 PM
Nice
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shweta soni
04-Mar-2023 09:29 PM
👌👌
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Sushi saxena
19-Nov-2022 03:45 PM
Nice 👍🏼
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